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रिसर्च में दावा: फास्ट चार्जर से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बैट्रियां जल्द हो सकती हैं खराब

यह रिसर्च ‘द इलेक्ट्रोकेमिकल सोसाइटी जर्नल’ में पब्लिश हुई है।

इलेक्ट्रिक व्हीकल ना लेने के पीछे सबसे बड़ा कारण इन्हें चार्ज करने में लगने वाले ज्यादा समय को माना जाता है। इसके लिए अब कई कंपनियां फास्ट चार्जिंग सुविधा भी देने लगी है। हाल ही में सरकार ने भी कहा है कि देश में फास्ट चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा जहां 15 मिनट मात्र में बैट्री वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियां पूरी तरह से चार्ज हो जाएंगी। मगर सामने आई एक रिसर्च में सामने आया है कि फास्ट चार्जर से बैट्रियों के जल्दी खराब होने का कारण बन सकते हैं। यह रिसर्च ‘द इलेक्ट्रोकेमिकल सोसाइटी जर्नल’ में पब्लिश हुई है। इस रिसर्च के महत्वपूर्ण तथ्यों  पर आप भी डालिए एक नजर:

-इस रिचर्स में बताया गया है कि एक लिथियम आयन बैट्री में पॉजिटिव चार्ज कैथोड और एक निगेटिव चार्ज एनोड होता है। ये दोनों कैथोड को इलेक्ट्रोलाइट नाम का मैटेरियल अलग रखता है और लिथियम आयनों को उनके बीच ले जाता है। इन बैट्रियों में मौजूद एनोड ग्रेफाइट से बना होता है जो छोटे छोटे पार्टिकल्स से बनता है।

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-इन पार्टिकल्स में मौजूद लिथियम आयन खुद को ‘इंटरकेलेशन’ नाम के प्रोसेस में खुद को शामिल कर लेते हैं। जब इंटरकेलेशन की प्रक्रिया सही से चल रही होती है तो बैट्री ठीक से चार्ज और डिस्चार्ज होती है। 

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-मगर जब भी बैट्री को किसी फास्ट चार्जर के जरिए तेजी से चार्ज किया जाता है तो इंटरकलेशन प्रोसेस में समस्या होने लगती है जिससे लिथियम आयान आसानी से ग्रेफाइट में प्रवेश करने के बजाए एनोड की सतह के उपर एकत्रित होने लगते हैं। इस चीज को प्लेटिंग इफेक्ट कहा जाता है जो बैट्री को नुकसान पहुंचा सकता है। 

ये रिसर्च करने वाले आर्गन बैट्री साइंटिस्ट डेनियल अब्राहम ने कहा है कि प्लेटिंग इफेक्ट ही बैट्रियों के खराब होने का सबसे बड़ा कारण है। 

-उन्होनें अपनी रिसर्च में आगे कहा कि कोई बैट्री जितनी ज्यादा तेजी से चार्ज होगी उतनी ही तेजी से ज्यादा एनॉड ऑटोमैटिकली डिस्बैलेंस्ड हो जाते हैं जो लिथियम आयंस को आगे बढ़ने से रोकता है जिससे बैट्री परफॉर्मेंस भी खराब होती है।

-इस स्टडी का निष्कर्ष ये रहा कि बैट्रियो में लिथियम आयन का सही से जुड़ना काफी जरूरी है जो ग्रेफाइट पार्टिकल्स में सुधार करके किया जा सकता है। 

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