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उमलिंगा टॉप बनी दुनिया की सबसे ऊंची सड़क; खारदुंगला आया नंबर 2 पर

Umling La Highest Motorable Pass

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने रचा इतिहास, बनाई दुनिया की सबसे ऊंची सड़क

पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी सीमा पर गांवों में सड़क संपर्क बेहतर बनाने के प्रयासों को जारी रखते हुए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रोजेक्ट हिमांक ने समुद्रतल से करीब 19300 फीट की ऊंचाई पर उमलिंगा टॉप पर सड़क बिछाकर इतिहास रच दिया। यह वाहनों के आवागमन के लिए दुनिया की सबसे ऊंची सड़क है। उमलिंगा टॉप अब नंबर वन और खारदुंगला नंबर 2 पर आ गया है, क्योंकि उसकी ऊंचाई समुद्र तट से 18,380 फीट है। गुजरात में टाटा नैनो फ्लॉप होने पर राहुल ने साधा पीएम मोदी पर निशाना

प्रोजेक्ट हिमांक के चीफ इंजीनियर ब्रिगेडियर डीएम पूर्वीमठ ने बताया कि उमलिंगा टॉप के बीचोंबीच सड़क का निर्माण किया गया है। 86 किलोमीटर लंबी सड़क सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह चीन और भारत के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे हैनले के पास है। दमचुक व च्सूमले गांव को भी यह मार्ग जोड़ेगा। दोनों गांव वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हैं। इस सड़क का निर्माण अत्यंत मुश्किल था, क्योकि समुद्रतल से 19,300 फीट की ऊंचाई पर न सिर्फ ऑक्सीजन का स्तर कम था, बल्कि निर्माण सामग्री भी पहुंचाना बहुत मुश्किल था। गर्मियों में यहां तापमान शून्य से नीचे -10 से -20 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। सर्दियों में यह शून्य से नीचे -40 डिग्री तक चला जाता है। हाईस्पीड टोयोटा इनोवा एक्सप्रेस वे पर ट्रक में पूरी तरह जा घुसी

ब्रिगेडियर पूर्वीमठ ने कहा कि इस क्षेत्र में प्रोजेक्ट हिमांक के अधिकारियों और जवानों ने जान जोखिम में डाल यह सड़क बनाई है। यहां हर 10 मिनट के अंतराल पर ऑपरेटरों को मशीन बंद कर नीचे आना पड़ता था, ताकि वह ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा ले सकें। क्रिकेट मैदान में घुसी मारुती WagonR – गौतम गंभीर, इशांत शर्मा और खिलाडी हुए हैरान

विपरीत मौसमी परिस्थितियों में काम करने की वजह से कई श्रमिकों और अधिकारियों को मेमोरी लॉस, आइसाइट और हाई ब्लड प्रेशर जैसी कई स्वास्थ्य दिक्कतों का सामना करना पड़ा। देश, सेना व स्थानीय जनता के लिए इस सड़क की अहमियत को देखते हुए प्रोजेक्ट हिमांक के अधिकारियों व श्रमिकों ने अपनी जान जोखिम में डाल दिन रात काम किया। सड़क निर्माण की निगरानी करने वाले 753 सीमा सड़क कार्यबल के कमांडेंट प्रदीप राज ने बताया कि निर्माण कार्य में शामिल मजदूरों और अधिकारियों को पहले पूरी तरह प्रशिक्षित किया गया था। उसके बाद उनके शरीर को तीन चरणों में स्थानीय मौसम और परिस्थितियों के अनुकूल बनाया। पहले लेह में उसके बाद शक्ति में और अंत मे नुमा में उन्हें रखा गया। यह क्षेत्र अत्यंत दुर्गम है। काम का मौसम यहां अत्यंत सीमित रहता है। ऐसे हालात में निर्माण योजना में शामिल अधिकारियों व श्रमिकों को मानसिक व शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ होना जरूरी है।

गौरतलब है कि प्रोजेक्ट हिमांक इससे पहले भी लद्दाख प्रांत में समुद्रतल से करीब 17900 फीट की ऊंचाई पर खारदुंगला दर्रे में और 17695 फीट की ऊंचाई पर चांगला दर्रे में वाहनों के आवागमन योग्य सड़कें बिछा चुका है।

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