टाटा मोटर्स इस समय देश की नंबर-2 कारमेकर बनने की होड़ में महिंद्रा से आगे है। पिछले कुछ समय से दो बार ये कंपनी हुंडई को पछाड़कर नंबर-2 की पोजिशन पर भी आ चुकी है। सेफ कारें बनाने और एक स्ट्रॉन्ग व्हीकल पोर्टफोलियो रखने वाली टाटा अपनी सर्विस को लेकर कई बार विवादों में आ चुकी है। कई बार पब्लिक फोरम पर टाटा कार ओनर्स इस बारे में खुलकर लिख भी चुके हैं। सर्विस को लेकर एक टाटा हैक्सा ओनर ने भी अपना ओनरशिप से जुड़ा एक्सपीरियंस शेयर किया है। यदि आप भी टाटा कार ओनर है और सर्विस को लेकर कंपनी से आपको भी कोई शिकायत है तो ये आर्टिकल पढ़ने के बाद कमेंट बॉक्स में हमसे अपना एक्सपीरियंस जरूर शेयर करें:
टाटा हैक्सा ऑटोमैटिक वेरिएंट ओनर प्रतीक पारिक ने एक पब्लिक फोरम पर अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए लिखा मार्च 2022 के आखिरी सप्ताह पहली बार उनके कार के गियरबॉक्स में समस्या आई थी। उन्होनें बताया कि इंजन ऑन करने के बाद कार का ऑटोमैटिक गियरबॉक्स एक स्टेप से अगले स्टेप पर शिफ्ट ही नहीं हो रहा था। उदाहरण देते हुए उन्होनें बताया कि वो पार्क से रिवर्स या ड्राइव पर शिफ्ट कर रहे थे तो उन्हें ये सब करने के लिए इंजन को बंद करना पड़ रहा था और इसके बाद पार्क पर शिफ्ट करके इंजन ऑन करते हुए कार को रिवर्स लेकर फिर ड्राइव मोड पर आना पड़ रहा था।
इसके बाद ओनर की हैक्सा को टाटा के ऑथराइज्ड सर्विस स्टेशन ले जाया गया और इसकी ऑनलाइन चैकिंग की गई जिसमें 2 से 5 दिन का समय लग जाता है। उन्हें सर्विस स्टेशन पर बताया गया कि उनकी ऑइल सील फटी हुई थी जिसके बाद 1500 रुपये में नई सील लगा दी गई।
इसके बाद यही समस्या जून 2022 को फिर से सामने आने लगी जहां इसबार पहले और रिवर्स गियर में इंजन पर भारी लोड पड़ रहा था और ऐसा लग रहा था मानो ब्रेक अटक गए हों। एक बार फिर से टाटा हैक्सा को सर्विस स्टेशन ले जाया गया। इसबार भी कार चैक करने में लंबा समय लिया गया और निष्कर्ष निकाला गया कि ऑटोमैटिक गियरबॉक्स की ऑइल और कूलेंट लाइन डैमेज हो गई है। सर्विस सेंटर ने कहा कि ये समस्या ठीक नहीं हो सकती है और गियरबॉक्स रिप्लेसमेंट ही आखिरी रास्ता है। ओनर को गियरबॉक्स की कीमत 3,17,000 रुपये बताई गई और कूलर कहे जाने वाले एक पार्ट की 11,000 रुपये बताई गई जिनमें लेबर चार्ज भी शामिल था। इसके बाद टाटा के दो ऑफिशियल्स ने ओनर को कुछ रियायत देने का आश्चासन भी दिया। इसके बाद उन्हें बताया गया कि कंपनी डीलर मार्जिन कम करके उन्हें 2,40,763 रुपये में नया गियरबॉक्स देने को तैयार हैं।
4.5 साल में मात्र 54,500 किलोमीटर चली कार के गियरबॉक्स का ऐसा हाल
ओनर ने बताया कि उनकी टाटा हैक्सा ऑटोमैटिक 4.5 साल में केवल 54,500 किलोमीटर चली है और गियरबॉक्स का इस तरह फेल हो जाना काफी आश्चर्यजनक मामला माना जा सकता है। ओनर ने कहा कि कंपनी ने उन्हे कहा कि कार वॉरन्टी पीरियड से बाहर हो चुकी है ऐसे में उन्हें अब नए गियरबॉक्स के लिए इतनी कीमत तो चुकानी ही होगी वरना कंपनी इस मामले में कुछ नहीं कर सकती है। ओनर ने टाटा मोटर्स के ऑफिशियल्स से हुई बात का ब्यौरा भी तस्वीरों के जरिए दिया है वहीं उन्होनें ये भी बताया कि टाटा के कस्टमर रिलेशंस डिपार्टमेंट से ओनर द्वारा की गई मेल का कोई जवाब भी नहीं दिया गया।
ओनर की अदालत में चले जाने की चुनौती को भी कंपनी ने स्वीकारा
ओनर प्रतीक पारीक ने कहा कि उन्होनें 20 लाख रुपये में टाटा हैक्सा खरीदी थी और उनके पास कंपनी से मूंह मांगे दामों पर नया गियरबॉक्स लेने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा था। ओनर ने जब अदालत का दरवाजा खटखटाने की बात कही तो कंपनी ने कस्टमर की चुनौती को स्वीकार भी कर लिया। आखिर में ओनर का यही कहना था कि टाटा जैसी कंपनी की कार पर 20 लाख रुपये का निवेश करना कोई मामूली बात नहीं है और कस्टमर को कंपनी ने ऐसी दुविधा में छोड़कर उनका भरोसा तोड़ा है।
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Source – Team-BHP