ऑटो इंडस्ट्री

बीएस3 से बीएस4 की ओर बढ़ा भारत, जानिए क्या होंगे आॅटो इंडस्ट्री में बदलाव

BS3 and BS4 difference & changes

बीएस3 गाड़ियों पर प्रतिबंध का सबसे ज्यादा असर टू व्हीलर्स पर ही पड़ा है.

1 अप्रैल 2017 से भारत में बीएस 3 गाड़ियां नहीं बिकेंगी. इसकी वजह है सुप्रीम कोर्ट का ऐसी सभी गाड़ियों की बिक्री और रजिस्ट्रेशन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना. यानी अब भारत आॅटो वर्ल्ड की दुनिया में एक कदम बेहतरी की ओर तो जा ही रहा है बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से ठोस कदम उठाने वाले देशों की फेहरिस्त में भी शामिल हो रहा है. अब सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि आखिर आॅटो निर्माताओं की बची हुई गाड़ियों तकरीबन 8.2 लाख जो कि बीएस3 मानकों की हैं, उनका क्या होगा.

यही कारण है कि पिछले दो दिनों से आॅटो कंपनियों ने भारी डिस्काउंट का खेल कर ज्यादा से ज्यादा गाड़ियों को निकालने की स्कीम चला दी. रिपोर्ट्स आ रही हैं कि ज्यादातर एजेंसियों पर इतनी अधिक बिक्री देखी गई जितनी धनतेरस के समय भी नहीं देखी गई. जाहिर है ऐसे वक्त में ग्राहकों की बल्ले बल्ले तो है ही पर क्या आॅटो कंपनियों को घाटा हुआ है. बहुत से लोगों के दिमाग में ये भी सवाल उठ रहे होंगे कि क्या बीएस3 मॉडल को बीएस4 में बदला नहीं जा सकता था. या अब उनके सामने क्या विकल्प है. इसके अलावा ये भी जानना जरूरी है कि आखिर इन दोनों के हार्डवेयर में क्या अंतर है.

अब इस पूरे मामले के टेक्निकल हिस्से को समझने के लिए मान लीजिए कि भारत में आॅटो इंडस्ट्री चार प्रकार की है. टू व्हीलर्स, पेट्रोल पैसेंजर व्हीकल्स और एसयूवी, डीजल पावर्ड पैसेंजर व्हीकल्स और एसयूवी, लार्ज कॉमर्शियल व्हीकल्स.

जानिए टू व्हीलर्स पर क्या है असर

बीएस3 गाड़ियों पर प्रतिबंध का सबसे ज्यादा असर टू व्हीलर्स पर ही पड़ा है. सबसे ज्यादा बाइक और स्कूटर्स ही अनसोल्ड रह गईं. इसी कारण कई कंपनियों ने 50 प्रतिशत डिस्काउंट के साथ दो दिनों में कई बाइक को निकाल दिया. इसके बावजूद शोरूम में खड़ी गाड़ियां तो बिक गईं लेकिन गोदामों और कंपनी में बनी तैयार बाइक व स्कूटर इसमें भी नहीं निकल पाए क्योंकि शोरूम वाले इन्हें मंगा कर बेचने का जोखिम उठाने को तैयार नहीं हुए.

अब अगर बात करें कि क्या बाइक और स्कूटर को बीएस3 से बीएस4 में बदला नहीं जा सकता था. तो इसका जवाब होगा नहीं. इसकी बड़ी वजह है इसका डिजाइन क्योंकि नए मानकों के अनुसार इंजन और बॉडी दोनों का बदला जाना जरूरी है. अब बात करें तो टेल पाइप एमीशन.ज्यादातर मामलों में बीएस4 बाइक के लिए ये लंबा चाहिए होता है ताकि नुकसानदायक नाइट्रोजन आधारित गैसों को ठोस में बदला जा सके. और इसके लिए काफी बदलाव की जरूरत होती है. पढ़े – SC ने 1 अप्रैल से BS-III वाहन पर लगाई रोक, करोड़ों का नुकसान

पेट्रोल आधारित यात्री गाड़ी और एसयूवी

ज्यादातर पेट्रोल आधारित कार भारत में पिछले साल से ही बीएस4 में बदलने लगी थीं. ऐसा इसलिए क्योंकि पेट्रोल इंजन के लिए बीएस3 से बीएस4 में बदलना बहुत आसान होता है. पेट्रोल इंजन ज्यादातर खुद ही प्रदूषण के असर को कम करने की दिशा में पहले से काम करते आए हैं. इसके अलावा बीएस4 मानकों के अनुरूप बदलाव के लिए जरूरी टर्बोचार्ज्ड छोटी क्षमता के इंजन आसानी से जोड़े जा सकते हैं.

डीजल आधारित यात्री गाड़ी और एसयूवी

डीजल इंजन पर बनी गाड़ियां और एसयूवी भारत में बहुत कम हैं. बीएस3 से बीएस4 मानक की ओर बढ़ने से बहुत कम कार कंपनियों जैसे महिंद्रा और टाटा मोटर्स पर ही असर पड़ेगा. जबकि ये कंपनियां पहले से ही बीएस3 गाड़ियां ग्रामीण और छोटे शहरी इलाकों के लिए ही बना रही थीं. ज्यादातर मामलों में कंपनियों ने नए मानकों के अनुरूप गाड़ियों को ढ़ाल भी दिया है. कई गाड़ियों को बीएस4 वैरिएंट के साथ पहले ही उतारा जा चुका है जैसे कि महिंद्रा की थार.

बड़ी कॉमर्शियल गाड़ियां

कार और बाइक को भले ही ढ़ाचें में बदलाव के साथ बीएस3 से बीएस4 में जाया जा सकता है पर बड़ी कॉमर्शियल गाड़ियों में ऐसा संभव नहीं है. इसके लिए एक बड़े बदलाव से आॅटो इंडस्ट्री को गुजरना होगा. इसमें टेक्नोलॉजी से लेकर मैकेनिकल एडवांसमेंट की ओर जाना होगा. इसलिए पुरानी गाड़ियों में बदलाव कर बीएस4 मानकों को छूना असंभव सा है. आॅन बोर्ड डाइग्नोस्टिक यानी ओबीडी को कार और बड़ी कॉमर्शियल गाड़ियों दोनों में अनिवार्य किया गया है.

क्या मतलब है बीएस का:

बीएस का मतलब भारत स्टेज. इससे ये पता लगाया जा सकता है कि आपकी गाड़ी से कितना प्रदूषण फैला रहा है. बीएस के जरिए ही भारत सरकार गाड़ियों के इंजन से निकलने वाले धुएं और प्रदूषण की जांच करती है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बीएस मानक तय करता है. हर आॅटो कंपनी जो कोई भी गाड़ी बाजार में उतारती है तो उसके लिए बोर्ड से बीएस मानक के अनुरूप एनओसी लेना होता है. ये मानक हर देश का अलग होता है. बीएस के साथ आपको एक नंबर दिया जाता है जो ये बताता है कि आपकी गाड़ी से निकलने वाला धुंआ कितना गंभीर है. बीएस मानक नंबर जितना ज्‍यादा होगा उतना ही कम प्रदूषण फैलाएगी वो गाड़ी.

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