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SC ने 1 अप्रैल से BS-III वाहन पर लगाई रोक, करोड़ों का नुकसान

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सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि एक अप्रैल, 2017 से बीएस-चार मानक पर खरे नहीं उतरने वाले वाहन भारत में नहीं बेचे जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि एक अप्रैल, 2017 से बीएस-चार मानक पर खरे नहीं उतरने वाले वाहन भारत में नहीं बेचे जाएंगे। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जनता का स्वास्थ्य ऑटो कंपनियों के व्यावसायिक हितों से ज्यादा महत्वपूर्ण है। वाहन विनिर्माताओं के संगठन SIAM के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से ऑटो कंपनियों को 18-20 लाख करोड़ रुपए के नुकसान होने का अनुमान है। इस संगठन का कहना था कि कंपनियों के पास ऐसे करीब 8.24 लाख वाहनों का जखीरा है जिसमें 96 हजार वाणिज्यिक, छह लाख से अधिक दुपहिया वाहन हैं। पढ़े – बाइक कंपनियां दे रही 22000 रुपये तक की छूट

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा- जब कम्पनियों को पता था कि 1 अप्रैल से बीएस-4 लागू होना है, फिर भी वो टेक्नोलॉजी विकसित करने पर क्यों बैठे रहे। क्यों नहीं बीएस-4 नॉर्म्स की गाड़ियां बनायी गईं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोगों की सेहत, ऑटोमोबाइल कम्पनियों के फायदे से ज्यादा जरुरी हैं। कोर्ट का फैसला उस याचिका पर आया है जिसमें 31 मार्च के बाद ऐसे वाहन बेचने पर लगी रोक को चुनौती दी गई थी। अदालत ने कहा कि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सड़क पर आने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

आॅटोमोबाइल विशेषज्ञों के मुताबिक एक अप्रैल 2017 में केवल बीएस-4 (भारत स्टेज-4) इंजन वाले दुपहिया और तिपहिया वाहनों का ही परिवहन विभाग में पंजीकरण होगा। इससे दुपहिया और तिपहिया वाहन बनाने वाली सभी कंपनियों ने बीएस-3 (भारत स्टेज-3) के इंजन वाली गाड़ियां बनानी बंद कर दी हैं। अब वे केवल बीएस-4 इंजन वाली गाड़ियां ही बना रहे हैं। बीएस-4 इंजन वाली गाड़ियों को कंपनियां अपने डिस्ट्रीब्यूटरों को मार्च से उपलब्ध कराएंगी।

करोड़ों का होगा नुकसान

BS-III मानक वाले अनसोल्‍ड कॉमर्शियल गाड़ियों की सख्यां 96,000 है जिसमें 670,000 BS-III मानक वाले टू-व्‍हीलर और 40,000 थ्री-व्‍हीलर्स और 16,000 पैसेंजर व्‍हीकल्‍स हैं। माना जा रहा है कि दोपहिया, तीन पहिया और वाणिज्यिक वाहन बनाने वाली कंपनियों पर 12 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है।

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