Mahindra XUV300 Vs Tata Nexon
ऑटो इंडस्ट्री

नया दौर: कोरोना काल में टाटा-महिंद्रा जैसे देसी ब्रांड्स पर कस्टमर्स का बढ़ा भरोसा, पढ़िए ये डेटा स्टोरी

महिंद्रा और टाटा मोटर्स जिस तरह से बाजार में उभर कर सामने आए उसी समय विदेशी कंपनियां यहां अपना पुराना वर्चस्व खोने लगी जिसका एक बड़ा उदाहरण अमेरिकन ब्रांड फोर्ड के रूप में सामने आया

इंडियन कार मार्केट में अब तक विदेशी ब्रांड्स का ​ही दबदबा रहा है जहां मारुति और हुंडई के मार्केट शेयर के आगे कोई भी नहीं टिक पाया है। मगर,कोरोना काल आने से ठीक पहले महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स जिस तरह से बाजार में उभर कर सामने आए उसी समय विदेशी कंपनियां यहां अपना पुराना वर्चस्व खोने लगी जिसका उदाहरण हम अमेरिकन ब्रांड फोर्ड का देख ही सकते हैं। 

आंकड़ों की बात की जाए तो फाइनेंशियल ईयर 2019 में इंडियन कार मैन्युफैक्चरर्स का मार्केट शेयर 14.45 प्रतिशत रहा। इसके बाद फाइनेंशियल ईयर 2020 में ये गिरकर 14 प्रतिशत हो गया। मगर इसके बाद फाइनेंशियल ईयर 2022 में 19.5 प्रतिशत ग्रोथ के साथ देश के कार मैन्युफैक्चरर्स फिर से बाजार में छाने लगे। हालांकि इससे पहले साल 2012 में देसी कार ब्रांड्स का भारतीय घरेलु बाजार में शेयर 24 प्रतिशत था। मगर 2012 तक भारत में 5 इंडियन कार ब्रांड्स मौजूद थे जिनमें फोर्स मोटर्स,हिंदुस्तान मोटर्स,अशोक लेलैंड, टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा शामिल थे। मगर 2022 आते आते अब देसी ब्रांड्स के नाम पर सिर्फ टाटा और महिंद्रा ही बचे हैं जिनका मार्केट में धीरे धीरे ही सही मगर वर्चस्व बढ़ता जा रहा है। 

Mahindra XUV300 Features

कमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में टाटा और महिंद्रा की पकड़ काफी ज्यादा है। अभी पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में भी दोनों इंडियन कंपनियां अपनी पकड़ मजबूत कर रही है। उदाहरण के तौर पर फाइनेंशियल ईयर में टाटा मोटर्स का मार्केट शेयर 12.14 प्रतिशत रहा जबकि फाइनेंशियर ईयर 2021 में ये 8.27 प्रतिशत ही था। 2019 के बाद ये टाटा का अब तक सबसे ज्यादा मार्केट शेयर हुआ है। कोरोना काल आने से पहले भी फाइनेंशियल ईयर 2019 में कंपनी का मार्केट शेयर महज 6.85 प्रतिशत ही था। इस दरम्यां टाटा मोटर्स ने इलेक्ट्रिक कार सेगमेंट में अपनी सही रणनीति के चलते दबदबा कायम कर लिया है। साथ ही कंपनी के रेगुलर पेट्रोल/डीजल मॉडल्स को अच्छे खासे बिक्री के आंकड़े प्राप्त हो रहे हैं जिनमें टाटा नेक्सन और टाटा पंच जैसी कारों का सबसे ज्यादा योगदान है। 

सेफ कारें बनाने का नतीजा:कस्टमर्स ने बदली सोच,सेफ्टी को देने लगे तवज्जो

विदेशी ब्रांड्स की भरमार के बीच इंडियन कार मैन्युफैक्चरर्स ने कारों के डिजाइन और सेफ्टी के उपर काफी ध्यान दिया। लिहाजा कम कीमत में सेफ कारें उपलब्ध होने से लोग टाटा-महिंद्रा जैसे ब्रांड्स की ओर खिंचने लगे। दूसरी तरफ महिंद्रा ने भी ग्रामीण भारत में अपनी टिकाउ कारों के बल पर अपनी एक अलग जगह बनाई है। आज ये कंपनी थार और एक्सयूवी700 जैसी प्रीमियम कारों के दम पर शहरी कस्टमर्स के बीच भी पैंठ बनाने लगी है। 

XUV700 Crash Test

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इस तरह से गिरा जापानी ब्रांड्स का मार्केट शेयर

टाटा और महिंद्रा अब बिक्री के मामले में टोयोटा,होंडा और फोक्सवैगन जैसे पुराने विदेशी ब्रांड्स को पीछे छोड़ने लगे हैं। जापानी कंपनी सुजुकी,टोयोटा किर्लोस्कर,निसान इंडिया और होंडा कार्स इंडिया का कंबाइंड मार्केट शेयर जहां फाइनेंशियल ईयर 2019 में 62.25 प्रतिशत था तो वहीं ये गिरकर फाइनेंशियल ईयर 2022 में 51.8 प्रतिशत रह गया है। हालांकि 2012 में इनका मार्केट शेयर 48.2 प्रतिशत था। इसके बाद हुई ग्रोथ में सबसे ज्यादा मारुति का ही रहा जिसने उस दरम्यां अच्छा माइलेज देने वाली अफोर्डेबल कारें मार्केट में उतारकर भारतीय कस्टमर्स के दिल में अपनी एक अलग जगह बनाई। 

2019 से होंडा का पतन हुआ शुरू

होंडा के लिए बीते कई साल भारत में अच्छे नहीं रहे हैं जो इससे जुड़े आंकड़े खुद बयां करते हैं। कंपनी का मार्केट शेयर जहां कोरोना काल से पहले 2019 में 5.44 प्रतिशत था तो वहीं अब ये 2022 तक आकर 2.81 प्रतिशत रह गया है। हालांकि इस बीच निसान को मैग्नाइट जैसी कार लॉन्च करने का काफी फायदा मिला और इस कार के बदौलत कंपनी के सेल्स फिगर में सुधार आने लगा। टोयोटा काफी समय से 4 प्रतिशत के मार्केट शेयर से आगे बढ़ ही नहीं पाई है। 

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