रिपोर्ट्स के अनुसार मात्र 2019 में ही देश में 480,000 सड़क दुर्घटनाएं पेश आई जिसमें 151,113 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की अध्यक्षता करने वाले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि भारत में तैयार होने वाली कारों में मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को कम से कम 6 एयरबैग देने चाहिए। गडकरी ने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए संदेश देते हुए कहा कि मैंने सभी प्राइवेट व्हीकल मैन्युफैक्चरर्स से सभी सेगमेंट की कारों के हर वेरिएंट में कम से कम 6 एयरबैग स्टैंडर्ड फिटमेंट के तौर पर दिए जाने की अपील की है। गडकरी के इस बयान के बाद भारत के टॉप ब्रांड्स से जुड़े अधिकारियों ने भी अपनी ओर से प्रतिक्रिया दी है।
ख्याल अच्छा है मगर इससे कारों की कीमत पर पड़ेगा फर्क-आरसी भार्गव, (चेयरमैन) मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड
मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन ने गडकरी के इस बयान पर कहा कि ‘कारों में इस तरह के ज्यादा फीचर्स दिए जाने की बात अच्छी है मगर,पॉलिसी मेकर्स को कस्टमर्स की तरफ से भी सोचना चाहिए फिर इन सबके लिए उन्हें कारें ज्यादा कीमत पर खरीदनी पड़ेगी। उन्होनें आगे कहा कि ये नियम किसी दूसरी जगह अनिवार्य रूप से लागू है इसका मतलब ये नहीं कि ये भारत जैसे देश में भी लागू हो जहां प्रति व्यक्ति आय काफी अलग है। यहां कारें इतनी भी महंगी नहीं होनी चाहिए कि लोग उन्हें अफोर्ड ही ना कर पाएं।’
यदि आ गया ये नियम तो कारों की प्राइस में कितना पड़ेगा असर?
यदि हम भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाली हैचबैक स्विफ्ट की ही बात करें तो अभी इसमें केवल दो एयरबैग दिए जा रहे हैं। ऐसे में यदि इसमें चार और एक्सट्रा बैग्स दे दिए जाएं तो इसकी प्राइस में 25000 रुपये तक का इजाफा हो सकता है। जहां अभी ऑटो इंडस्ट्री कोरोना के कारण पहले से ही काफी घाटे से जूझ रही है वहां ऐसे नियमों के आ जाने के बाद कारों की बिक्री में बड़ा फर्क पड़ सकता है जहां कस्टमर अपनी खरीदारी के फैसले को या तो टाल सकते हैं या फिर कुछ दूसरे विकल्प ढूंढ सकते हैं।
लेकिन,भारत में ये जरूरी क्योंकि….
गडकरी के इस बयान पर गौर करें तो भारत जैसे देश में इस तरह के फैसले अब जरूरी हो गए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार मात्र 2019 में ही देश में 480,000 सड़क दुर्घटनाएं पेश आई जिसमें 151,113 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। भारत उन देशों की लिस्ट में शामिल है जहां हर साल सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटना होती है जिसमें लाखों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। भारत में कई एंट्री लेवल कारें या मास मार्केट कारें भी सुरक्षा की दृष्टि से भी सेफ नहीं मानी जाती है क्योंकि इनमें सेफ्टी फीचर्स की काफी कमी होती है। वहीं गडकरी ने कहा है कि देश में अब कई एक्सप्रेस-वे भी तैयार हो चुके हैं जहां अब सरकार स्पीड लिमिट तय करने के बारे में सोच रही है।
गडकरी के बयान पर ही मारुति के चेयरमैन आरसी भार्गव ने आगे कहा कि देश में ज्यादातर दुर्घटनाएं हाईवे पर नहीं होती है बल्कि शहरों में दुर्घटनाओं की संख्या ज्यादा है जहां ओवरस्पीडिंग पर लगाम नहीं कसी जाती है। उन्होनें उदाहरण देते हुए कहा जब कोई 2 व्हीलर से 4 व्हीलर पर अपग्रेड करता है तो वो सेफ्टी और कंफर्ट को ध्यान में रखते हुए ही ये निर्णय लेता है। ऐेसे में जब कारें ही मंहगी हो जाएंगी तो कई लोग नई कार खरीदने से वंचित हो जाएंगे और हम रोड सेफ्टी के अपने लक्षय से ही भटक जाएंगे।