ऑटो इंडस्ट्री

चीन की जरूरत नहीं: सरकार ने देश में सेमी कंडक्टर्स तैयार करने के लिए 2.3 लाख करोड़ का बजट किया तय

सरकार देश में सेमी कंडक्टर्स और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स तैयार करने के लिए 2.3 लाख करोड़ रुपये खर्च करने को तैयार

कारों में मिलने वाले इंफोटेनमेंट सिस्टम या ऐसे कई इलेक्ट्रिॉनिक सिस्टम जो मॉर्डन व्हीकल्स में मिलने लगे हैं वो अब आज की जरूरत बन चुके हैं। मगर आजतक इन कंपोनेंट्स के लिए भारत विदेशों पर ही निर्भर था। मगर अब इस ग्लोबल शॉर्टेज से निपटने के लिए भारत सरकार ने कमर कस ​ली है। दरअसल अब सरकार ने सेमीकंडक्टर्स जैसे कंपोनेंट्स को देश में ही तैयार करने पर करीब 76,000 करोड़ रुपये का इंसेटिव देने का ऐलान किया है। यानी अब भारत भी चीन,ताईवान,साउथ कोरिया और मलेशिया जैसे देशों की तरह इले​क्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग हब की बनने की ओर अग्रसर होगा। इसका सबसे बड़ा फायदा ऑटो सेक्टर को मिलेगा जहां अब कारों में कुछ फीचर्स के लिए सेमी कंडक्टर्स और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स की काफी जरूरत पड़ने लगी है। 

हमें क्या फायदा?

महिंद्रा XUV700 interior

यदि सेमीकंडक्टर्स का प्रोडक्शन भारत में ही होगा तो इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि हम लैटपटॉप, स्मार्टफोन जैसे आइटम्स का उत्पादन देश में ही कर सकेंगे। साथ ही इंडियन ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को भी इसका सीधा फायदा मिलेगा जहां एक फीचर लोडेड कार तैयार करने के लिए इंफोटेनमेंट सिस्टम जैसे फीचर्स के लिए इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स हमें इंपोर्ट कराने नहीं पड़ेंगे।

सरकार ने जो केवल इस चीज के लिए एक विशेष पैकेज की घोषणा की है उसके कई फायदे देश को ही होंगे। सबसे पहले तो यहां कंपोनेंट्स प्लांट्स खुलेंगे जिससे काफी रोजगार पैदा होगा। इसके अलावा टेस्ला जैसी कुछ विदेशी कंपनियां जो अब तक केवल अपनी कारें यहां इंपोर्ट कर बेचने की प्लानिंग कर रही थी वो खुद यहां मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगा सकती है जिसमें उन्हें और यहां के कस्टमर्स दोनों को फायदा होगा।

पर..इतना आसान नहीं सेमी-कंडक्टर्स बनाना

सेमीकंडक्टर तैयार करना उतना आसान नहीं है। भारत जैसा देश एक अच्छे बजट के बावजूद अभी फौरी तौर पर ऐसी टेक्नोलॉजी डेवलप करने के लिए काफी पीछे है। दरअसल सेमी कंडक्टर्स जैसी चीजें तैयार करने के लिए एक प्लांट लगाने में ही कम से कम 2 साल का समय लग जाता है जिसके लिए तकनीकी विशेषज्ञता हासिल होनी जरूरी है। इसके अलावा प्लांट लगने के बाद स्मार्टफोन या स्मार्टवॉच के लिए छोटे सेमी कंडक्टर्स तैयार करने में करीब 6 महीने लग जाते हैं। ये काम चीन काफी समय पहले से कर रहा है। हालांकि भारत में जैसे ही इनकी मैन्युफैक्च​रिंग शुरू होती है तो चीन जैसे देशों से बोझ कम होगा। कुल मिलाकर सरकार से वित्तिय सहायता मिलने के बाद भी हमें इस चीज के लिए कई सालों का इंतजार करना पड़ सकता है और इसमें विेशेषज्ञता हासिल करने में भी हमें समय लगेगा। 

चीन की जरूरत नहीं: सरकार ने देश में सेमी कंडक्टर्स तैयार करने के लिए 2.3 लाख करोड़ का बजट किया तय
To Top