इस समय देश में पेट्रोल डीजल की कीमतों को लेकर चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है और जनता सरकार से इसकी जवाबदेही चाहती है। यहां कई राज्यों में तेल के दाम 100 के आंकड़ो को पार कर चुके हैं।
भारत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा कच्चे तेल का उपभोग करने वाले देशों में से एक है। भारत में फिलहाल कच्चे तेल के भंडार मौजूद नहीं है और जनसंख्या के हिसाब से सबसे बड़े देश में तेल की आपूर्ति के लिए हमें कच्चे तेल के आयात पर ही निर्भर रहना पड़ता है। यानी आपके घर की रसोई में मौजूद तेल से लेकर आपकी कार या बाइक के फ्यूल टैंक में मौजूद फ्यूल हजारों किलोमीटर दूर से आता है जिसके बाद उसे कई तरीकों से प्रोसेस किया जाता है। भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें तय किए जाने के कई आयाम है। इसमें कई तरह की कॉस्ट,जगह और यहां तक कि समय जैसे फैक्टर्स शामिल होते हैं। इस समय देश में पेट्रोल डीजल की कीमतों को लेकर चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है और जनता सरकार से इसकी जवाबदेही चाहती है। यहां कई राज्यों में तेल के दाम 100 के आंकड़ो को पार कर चुके हैं। देश की राजधानी दिल्ली की ही बात करें तो यहां करीब 102 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल बिक रहा है जबकि डीजल की कीमत 89.93 रुपये प्रति लीटर है। ऐसे में हम आपको पेट्रोल डीजल की कीमतें तय होने के आयामों के बारे में काफी प्रमुख जानकारी देने जा रहे हैं जिसके लिए इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ें।
ऐसे तय की जाती है फ्यूल प्राइस
सरकार द्वारा जिस कीमत पर फ्यूल खरीदा जाता है उसे Free On Board (FOB) Price कहा जाता है।
जिस देश से फ्यूल खरीदा जाता है उसके नजदीकी पोर्ट या बंदरगाह से भारतीय बंदरगाह तक डिलीवर करने की पूरी प्रकिया में आने वाली लागत को Ocean Freight कहते हैं।
इस प्रक्रिया की दूसरी स्टेज में Cost and Freight price भी जुड़ती है। इस तरह से अब फ्यूल की कीमत के पूरे सूत्र को (C & F Price) = Ocean Freight + FOB कहा जाता है।
भारतीय बंदरगाह तक फ्यूल पहुंचने के बाद Cost and Freight price में इंपोर्ट ड्यूटी लगाई जाती है। इंपोर्ट ड्यूटी में इंश्योरेंस चार्ज,पोर्ट चार्ज और किसी तरह के ओशियन डैमेज जैसे चार्जेज शामिल होते हैं।
इसके बाद सरकार की ओर से Cost and Freight price पर 2.5 प्रतिशत की कस्टम ड्यूटी भी लगाई जाती है।
इन सभी कीमतों के कुल योग को parity price कहा जाता है। आसान भाषा में कहें तो ये वो कीमत होती है फ्यूल कंपनियों को भारतीय बंदरगाह पर अदा करनी होती है।
इसके बाद फ्यूल को रिफाइनरी में प्रोसेसिंग के लिए भिजवा दिया जाता है और फ्यूल प्रोसेस होने के बाद तेल के दामों में एक और चार्ज refinery transfer price (RTP) जुड़ जाती है।