अभी तक बीएस4 कारों में ही सीएनजी या एलपीजी किट लगाने की अनुमति दी जा रही थी।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है जिसमें कहा गया है कि अब बीएस6 कारों में सीएनजी या एलपीजी किट को रेट्रो फिट कराने की अनुमति दे दी गई हैै। इसके अलावा 3.5 टन से कम वजन वाली बीएस6 डीजल कारों में भी अब एलपीजी या सीएनजी को सपोर्ट करने वाले इंजन से रिप्लेस कराया जा सकेगा।
अभी तक बीएस4 कारों में ही सीएनजी या एलपीजी किट लगाने की अनुमति दी जा रही थी। फिटमेंट के लिए टाइप-अप्ररूवल की आवश्यकताओं को इस नोटिफिकेशन में शेयर किया गया है। इस नोटिफिकेशन में कहा गया है कि पेट्रोल और डीजल के मुकाबले सीएनजी एक क्लीन फ्यूल है जो कम कार्बन मोनोऑक्साइड,हाइड्रोकार्बन और धुआं छोड़ता है।
पिछले दो सालों में भारत में सीएनजी कारों की डिमांड में भी काफी तेजी आई है। मारुति सुजुकी,हुंडई और टाटा मोटर्स अपनी कुछ कारों में फैक्ट्री फिटेड सीएनजी किट दे रही हैं और अभी किसी कंपनी की कार में फैक्ट्री फिटेड एलपीजी किट का ऑप्शन नहीं दिया जा रहा है। बीएस6 कारों में रेट्रो फिटिंग की अनुमति मिलने के बाद ग्राहकों के पास अब ज्यादा ऑप्शंस उपलब्ध होंगे।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली में इलेक्ट्रिक पावरट्रेन की रेट्रो फिटिंग सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त है। यहां 15 साल से ज्यादा पुरानी पेट्रोल और 10 साल से पुरानी डीजल कार को इलेक्ट्रिक कार में कन्वर्ट कराया जा सकता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल के आदेशानुसार ऐसे व्हीकल्स को अब दिल्ली एनसीआर में ड्राइव करने की अनुमति नहीं है।
ग्लासगो समिट में, भारत सरकार ने 2070 तक जीरो कार्बन एमिशन के लक्षय को हासिल करने की बात कही थी। 2030 तक सरकार ने इसमें 45 प्रतिशत तक की कमी लाने का भी लक्षय रखा है। हालांकि भारत में ये चीज हासिल करना काफी मुश्किल होगा क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था कोयले और ऑइल पर काफी निर्भर है।
भारत सरकार इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को तेजी से अपनाने की कवायद में इसे भी एक अभियान बना चुकी है। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को प्रमोट करने के लिए केंद्र और कुछ राज्य सरकारें ग्राहकों को सीधे सीधे सब्सिडी दे रही है। भारत में ईवी बैट्री मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगने के बाद तो ऐसे व्हीकल्स मुख्यधारा से जुड़ जाएंगे।