भारत में इस अमेरिकन ब्रांड को काम करते हुए आज 25 साल हो गए हैं और इस कंपनी के लिए अब यहां बिजनेस करना काफी मुश्किल हो गया है।
जुलाई में फोर्ड ने फिगो ऑटोमैटिक को भारत में लॉन्च किया था वहीं ये कंपनी ईकोस्पोर्ट के फेसलिफ्ट मॉडल को भी लॉन्च करने की तैयारी कर रही है जिसके काफी स्पाय शॉट्स सामने आ चुके हैं। भारत में इस अमेरिकन ब्रांड को काम करते हुए आज 25 साल हो गए हैं और इस कंपनी के लिए अब यहां बिजनेस करना काफी मुश्किल हो गया है। एक रिपोर्ट की मानें तो फोर्ड आने वाले दो से तीन साल यहां कोई नया प्रोडक्ट भी लॉन्च नहीं कर पाएगी। फोर्ड के एक्सपोर्ट फिगर में तो गिरावट आई है ही साथ ही में कोरोना काल में भी इस कंपनी को बिजनेस में काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में कंपनी ने अपने इंडियन प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को भी अपडेट नहीं किया है।
पहले फोर्ड हर साल अपने सानंद और मराईमलाई नगर प्लांट्स में करीब 4,00,000 लाख कारों का प्रोडक्शन कर रही थी मगर ये आंकड़ा गिरकर 80,000 तक ही सिमट कर रह गया है। इसलिए फोर्ड भारत में कॉन्ट्रेक्ट मैन्युफैक्चरिंग के लिए कोई नया पार्टनर ढूंढ रही है जिससे उसके प्लांट की मेंटेनेंस कॉस्ट निकल सके।
ठंडे बस्ते में जा सकते हैं कंपनी के ये अपकमिंग प्रोडक्ट्स
इससे पहले फोर्ड महिंद्रा के साथ मिलकर काम कर रही थी जिनके बीच दिसंबर 2020 में पार्टनरशिप खत्म हो गई। इसी के कारण फोर्ड के अपकमिंग प्रोडक्ट्स का लॉन्च हो पाना अब खटाई में पड़ता दिखाई दे रहा है। कंपनी भारत में 7 नए मॉडल्स लॉन्च करने की प्लानिंग कर रही थी जिसमें पहले फेज के तहत तीन नई एसयूवी शामिल थी। इन एसयूवी में नई सब 4 मीटर एसयूवी (B744),क्रेटा के मुकाबले में फोर्ड के प्लेटफॉर्म पर तैयार होकर आने वाली (B772) और महिंद्रा एक्सयूवी700 के प्लेटफॉर्म पर तैयार की जाने वाली 4.5 मीटर लंबी (CX757) शामिल है। कंपनी ने अपनी सी एसयूवी को डिजाइन करने की जिम्मेदारी Pininfarina को दे दी थी और इसे 2022 के मध्य तक लॉन्च किया जाना था। 2022 और 2023 तक फोर्ड द्वारा लॉन्च की जाने वाली एसयूवी कारों में महिंद्रा के इंजन दिए जाने थे। वहीं कंपनी अपनी इकोस्पोर्ट के फेसलिफ्ट मॉडल में महिंद्राद का 1.2 लीटर टर्बो इंजन भी देने वाली थी। ये कार इस साल अप्रैल में ही लॉन्च कर दी जाती मगर अब इसे आगे टाल दिया गया है।
गलतियों से नहीं सीख पाई ये कंपनी
फोर्ड ने पिछले तीन सालों में अलायंस के चक्करों में काफी गलतियां की है। कंपनी को इसके बजाए अपने खुद के प्रोडक्ट्स बनाने पर ध्यान देना चाहिए था। अब इस काम में कंपनी ने काफी देर कर दी है। आने वाले तीन सालों में तो फोर्ड की ओर से कोई नई मास मार्केट कार लॉन्च होती दिखाई नहीं दे रही है। दूसरी तरफ फोर्ड को अपने 1.5 लीटर डीजल इंजन को भी CAFE, BS6 Stage II और दूसरे रेगुलेशंस के हिसाब से भी अपडेट करना है जिसमेंं भारी निवेश की जरूरत पड़ेगी। यहां तक की फोर्ड एंडेवर के न्यू जनरेशन मॉडल की लॉन्चिंग भी अनिश्चितकाल के लिए टल सकती है।
इन कंपनियों से चल रहा है बातचीत का दौर
रिपोर्ट्स की मानें तो फोर्ड की कई कंपनियों के साथ पार्टनरशिप की बात चल रही है। भारत में स्कोडा,एमजी और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियां इस अमेरिकन कार मेकर के साथ मिलकर कुछ नए प्रोडक्ट्स बनाने का काम कर सकती है। यहां तक कि फोर्ड और फोक्सवैगन ने इलेक्ट्रिक कार,पिकअप ट्रक्स,वैन और ऑटोनॉमस टेक्नोलॉजी के लिए ग्लोबल अलायंस किया है और ये काम भारत में भी हो सकता है।
यदि फोर्ड भारत में टाटा के साथ पार्टनरशिप कर ले तो दोनों कंपनियों के लिए ये फायदे का सौदा साबित हो सकता है। टाटा को अपने लाइनअप में नेक्सन और हैरियर के बीच प्रोडक्ट गैप को पूरा करने के लिए एक मिड साइज एसयूवी दरकार है। ऐसे में फोर्ड का B772 प्रोडक्ट उसकी ये कमी पूरी कर सकता है। वहीं टाटा मोटर्स को एक ज्यादा कैपेसिटी वाले प्लांट की भी जरूरत है जिसकी कमी फोर्ड का सानंद प्लांट पूरी कर सकता है। इसी तरह एमजी भी एक नया प्लांट तैयार करने की प्लानिंग कर रही है और फोर्ड उसके लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है।
फोर्ड ने कुछ समय पहले ओला से भी अपने चेन्नई प्लांट में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स तैयार करने का प्रस्ताव रखा था। मगर ओला बेंगलुरू में एक बड़ा प्लांट तैयार कर रही है जिससे उसे अभी किसी दूसरे प्लांट की जरूरत नहीं है।
इसके अलावा माना जा रहा है कि कंपनी मस्टैंग,अपकमिंग रेंजर पिकअप ट्रक और फ्यूचर इलेक्ट्रिक कारों को सीमित संख्या में बेच सकती है।
Source – AutoCarIndia