Premium Vs Normal Petrol
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Premium Vs Normal Petrol – प्रीमियम पेट्रोल और नार्मल पेट्रोल में क्या है अलग

इन दिनों आसमान छूती fuel prices सबकी जबां पर सिर चढ़कर बोल रही है। 100 के पार पहुंच चुके पेट्रोल के दामों ने हर हर तरफ हाहाकर मचा रखा है। मगर मजबूर होकर भी हमें दफ्तर,बाजार जाने के लिए सबसे पहले पेट्रोल पंप तो पहुंचना ही होता है। पेट्रोल पंप पर जब आप लाइन में खड़े होते हैं तो आपने शायद वहां एक अलग से ‘Xtra Premium Petrol’ लिखा हुआ जरूर देखा होगा। ये पेट्रोल तो अलग होता ही है साथ में इसके दाम भी हाई-फाई होते हैं। अगर इसके दाम ज्यादा वसूले जाते हैं तो फिर कोई ना कोई बात तो जरूर होगी जो इसे नॉर्मल पेट्रोल से अलग बनाती है। आपके इस कंफ्यूजन को दूर करने के लिए ही हमनें ये आर्टिकल तैयार किया है जिसे अंत तक पढ़िएगा जरूर:

क्या होता है नॉर्मल पेट्रोल?

भारत में नॉर्मल पेट्रोल का ऑक्टेन नंबर 91 है। अब आप ये सोच रहे होंगे कि क्या ये कम ऑक्टेन नंबर वाला पेट्रोल आपकी कार के लिए सही नहीं रहेगा? तो हम आपका ये भ्रम दूर कर देते हैं। 

सबसे पहले तो आपको आपकी गाड़ी के साथ मिलने वाले यूजर मैनुअल को अच्छे से पढ़ लेना चाहिए जहां साफ साफ लिखा होता है कि आपकी गाड़ी के लिए कौनसे टाइप का पेट्रोल अच्छा रहेगा। यदि वहां नॉर्मल फ्यूल की बात की गई हो तो आप हमेशा अपनी कार में नॉर्मल पेट्रोल ही डलवाएं। 

नॉर्मल फ्यूल डलवाते रहने से एक समय के बाद इंजन में कार्बन जमा होने लग जाता है जिससे इंजन की परफॉर्मेंस पर सीधा असर पड़ता है। ऐसे में इंजन को साफ रखने के लिए एडिटिव्स और डिटर्जेंट युक्त प्रीमियम पेट्रोल डलाने में कोई बुराई नहीं है। 

हालांकि,एक बार प्रीमियम पेट्रोल डलवाने से आपका इंजन साफ नहीं हो जाएगा। इसके लिए आपको 2 से 3 बार टैंक फुल करवाना होगा। जब आपको ये महसूस हो जाए कि आपका इंजन अच्छा परफॉर्म कर रहा है तो आप फिर से नार्मल फ्यूल का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

हालांकि,2 से 3 बार प्रीमियम फ्यूल डलवाने से आपकी जेब पर काफी असर पड़ेगा। लेकिन इंजन की सेहत सही रखने के लिए थोड़ा खर्च बढ़ भी जाए तो कोई बुराई नहीं है। 

क्या होता है प्रीमियम पेट्रोल?

नॉर्मल पेट्रोल के मुकाबले प्रीमियम पेट्रोल में ऑक्टेन की मात्रा ज्यादा होती है मगर भारत में ये बात लागू नहीं होती है। भारत में तीन तर​ह के पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स उपलब्ध है जिनमें नैचुरल,प्रीमियम और हाई ऑक्टेन शामिल है। 

अब आप सोच रहे होंगे कि ये ऑक्टेन क्या होता है और इसकी मात्रा की तुलना का पैमाना क्या है? तो बता दें कि पेट्रोल की इग्नाइटिंग परफॉर्मेंस के मेजरमेंट को ऑक्टेन नंबर कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर भारत में नॉर्मल पेट्रोल का ऑक्टेन नंबर 91 होता है जबकि प्रीमियम पेट्रोल का ऑक्टेन नंबर 95 या उससे ज्यादा होता है। अब आसान भाषा में बात की जाए तो ज्यादा ऑक्टेन नंबर वाला पेट्रोल का इस्तेमाल स्पोर्ट्स कारों और बाइकों में किया जाता है। मगर भारत में प्रीमियम पेट्रोल का मतलब थोड़ा अलग हो जाता है क्योंकि यहां प्रीमियम पेट्रोल में एडिटिव्स और डिटर्जेंट भी होता है। 

अब कुछ सवाल जो जरूर आपके मन में होंगे

यदि मेरी गाड़ी के इंजन का कंप्रेशन रेशो कम है और मैं उसमें प्रीमियम पेट्रोल डला लूं तो क्या होगा?

जैसा कि हमनें पहले भी बताया हमारे देश में प्रीमियम फ्यूल में एडिटिव्स और डिटर्जेंट होते हैं जो मोटर को साफ रखते हैं और इंजन कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। 

यदि मेरी कार के इंजन का कंप्रेशन रेशो ज्यादा है और मैं नॉर्मल फ्यूल का इस्तेमाल करता हूं तो क्या होगा?

यदि आपके इंजन का कंप्रेशन रेशो ज्यादा है और आप कम ऑक्टेन नंबर वाले फ्यूल से गाड़ी चलाते हैं तो स्पार्क प्लग से चिंगारी निकलने से पहले ही इसमें प्री इग्निशन होगा। इससे इंजन डाउन हो सकता है। 

Premium Vs Normal Petrol – प्रीमियम पेट्रोल और नार्मल पेट्रोल में क्या है अलग
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