देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में आयोजित किए गए इंवेस्टर समिट के दौरान व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी को लॉन्च किया। ये समिट व्हीकल्स को स्क्रैप करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर की तैयारियों को लेकर आयोजित किया जा रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये पॉलिसी देश में 10,000 करोड़ रुपये का निवेष लेकर आएगी और इससे हजारों की संख्या में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। व्हीकल स्क्रैप पालिसी को लेकर क्या कुछ और कहा पीएम ने ये आप जानेंगे आगे की हाइलाइट्स में:
-मोदी ने व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इसका पहला लाभ ये होगा जिन लोगों के व्हीकल्स स्क्रैप किए जाएंगे उन्हें सरकार की ओर से एक सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। जिन लोगों के पास भी ये सर्टिफिकेट मौजूद होगा उन्हें नया व्हीकल खरीदते वक्त कोई रोड टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
-पीएम ने कहा कि ऐसे में लोगों को पुराने हो चले व्हीकल पर मेंटेनेंस कॉस्ट,रिपेयर कॉस्ट,फ्यूल एफिशिएंसी पर होने वाले खर्च से भी बचा जा सकेगा।
-मोदी ने इस पॉलिसी का तीसरा फायदा गिनाते हुए कहा कि पुरानी टेक्नोलॉजी और पुराने व्हीकल्स से सड़क दुर्घटनाओं से भी बचा जा सकेगा। वहीं इस पॉलिसी के चौथे फायदे को लेकर मोदी ने कहा कि ये पर्यावरण को बचाने की दिशा में भी एक ठोस कदम साबित होगा।
पूरी तरह से ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिए स्क्रैप किए जाएंगे पुराने व्हीकल्स:गडकरी
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के केबिनेट मंत्री नितिन गडकरी ने व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी के बारे में अधिक जानकारी देते हुए कहा कि एक सिंगल विंडो के जरिए व्हीकल्स को स्क्रैप करने की प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन रखी जाएगी।
इस दौरान गडकरी ने गुजरात के मुख्यमंत्री को सुझाव देते हुए कहा कि राज्य के किसी एक जिले में कम से कम एक रजिस्टर्ड व्हीकल स्क्रैपिंग इंडस्ट्री और ऑटोमेटेड फिटनैस सेंटर होना तो जरूरी है।
क्या किया जाएगा कबाड़ में तब्दील गाड़ियों का
व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत ELV (End of Life Vehicle) यानी ऐसे पुराने व्हीकल जो अब सड़कों पर चलने के लिए पूरी तरह फिट नहीं है और काफी पॉल्युशन भी फैलाते हैं उन्हें कबाड़ में तब्दील कर दिया जाएगा। इनके छोटे छोटे टुकड़े कर मैटल तैयार कर लिए जाएंगे जिन्हें बाद में रिसाइकल किया जा सकेगा। वहीं इनके नॉन मैटल पार्ट्स को एक प्रक्रिया के तहत पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाएगा। बता दें कि भारत में 23,000 करोड़ रुपये के मैटल को बाहर से इंपोर्ट कराते हुए यहां मंगवाया जाता है क्योंकि हमारे यहां कबाड़ में से निकलने वाला सामान उतना री-यूजेबल ही नहीं होता है। ऐसे में जब यहां व्हीकल्स को कबाड़ में तब्दील किया जाएगा तो उनसे काफी मात्रा में मैटल निकलेगा और हमें बाहर ये आयात कराने पर ज्यादा निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।