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ऑटो इंडस्ट्री

बजट 2022-23: इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए बड़ी घोषणाएं और इंपोर्ट ड्यूटी में कमी, ऑटो इंडस्ट्री को इस बार ये सब उम्मीदें

इस बार बजट में ऑटो इंडस्ट्री के साथ साथ महंगाई के इस दौर में नई कार लेने के इच्छुक आम आदमी को भी काफी उम्मीदें हैं

1 फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट की घोषणा की जाएगी जिसमें इसबार देश की ऑटो इंडस्ट्री के लिए कुछ नए ऐलान किए जाने की उम्मीद है। काफी अर्से से ऑटो इंडस्ट्री को सेमी कंडक्टर की शॉर्टेज,बढ़ती मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट और लॉकडाउन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में इंडस्ट्री को इस बार के बजट से काफी उम्मीदें है जिनमें सरकार ऑटो इंडस्ट्री के साथ साथ ग्राहकों को भी राहत देने वाले पैकेज की घोषणा कर सकती है। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन ने इंडस्ट्री से जुड़े कुछ समस्याएं चिन्हित की है जिनके हल होने की इस बजट में पूरी उम्मीदें हैं। 

Budget Car

इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपोनेंट्स पर जीएसटी रेट को कम किया जाए

जहां अभी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर जीएसटी की दर 5 प्रतिशत है तो वहीं ईवी कंपोनेंट्स पर 18 से 28 प्रतिशत जीएसटी लगाई जा रही है। ऐसे में इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट के लिए काम कर कर रहे है मैन्युफैक्चरर्स इसमें सरकार से बड़ी राहत चाहते हैं। इस तरह से सीधे तौर पर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की इनपुट कॉस्ट कम हो जाएगी और देश में तेजी से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर लोगों का रुझान बढ़ेगा। 

पीएलआई स्कीम के दायरे में छोटी से लेकर मिड साइज कंपनियां भी हो शामिल

लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बूस्ट करने के लिए सरकार 2021 में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेटिव स्कीम लेकर आई थी। इस स्कीम के तहत कंपनियों को 5 साल तक प्रोत्साहन राशि दी जाएगी यदि वो सरकार द्वारा तैयार किए गए स्कीम के मानदंडों पर खरा उतरते हैं तो। अब इंडस्ट्री चाहती है कि इस स्कीम में कम टर्नओवर वाली छोटी और मीडियम साइज की कंपनियों को भी शामिल किया जाए। इससे देश में लोकल मैन्युफैक्चरिंग को तो बढ़ावा मिलेगा ही साथ ही कुछ स्टार्टअप्स भी इस दिशा में काम कर सकते हैं। 

Fame-II Scheme का विस्तार हो

2021 में सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की खरीद को बढ़ावा देने के लिए लाई गई Fame-II Scheme को 31 मार्च 2024 तक के लिए विस्तारित किया था। अब इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री चाहती है कि इस स्कीम को कुछ सालों के लिए और एक्सटेंड किया जाना चाहिए ताकि इलेक्ट्रिक व्हीकल्स ज्यादा अफोर्डेबल हो सकें। बता दें कि Fame-II Scheme के तहत कुछ कैटेगरी के इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर केंद्र और राज्य सरकारें सब्सिडी दे रही हैं। यदि किसी इलेक्ट्रिक व्हीकल को इस स्कीम के दायरे में रख दिया जाता है तो उसकी कीमत काफी कम हो जाती है। 

यूज्ड कारों पर लगने वाली जीएसटी दर में कमी लाई जाए

अभी यूज्ड कारों पर 12 और 18 प्रतिशत जीएसटी रेट लगाई जा रही है। सब 4 मीटर व्हीकल्स पर 12 प्रतिशत की जीएसटी लगाई जा रही है तो वहीं 4 मीटर से लंबे कैटेगरी वाले यूज्ड व्हीकल्स पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाई जा रही है। फाडा का कहना है कि यूज्ड व्हीकल्स के लिए 5 प्रतिशत की यूनिफॉर्म जीएसटी रेट होनी चाहिए जो सरकार, डीलर्स और व्हीकल ओनर्स सबके लिए ही फायदेमंद रहेगा। जीएसटी घटने से इस इंडस्ट्री को अनऑर्गेनाइज्ड सेक्टर से ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर में शिफ्ट होने में मदद मिलेगी। 

सेलेरी क्लास के लिए भी लाई जाए डेप्रिसिएशन स्कीम 

मानिए कि आप एक बिजनेसमैन है और अपने बिजनेस के काम में इस्तेमाल करने के लिए कार ले रखी है तो आप इनकम टैक्स के अंतर्गत उसका ​डेप्रिसिएशन क्लेम उठा सकते हैं। ये चीज आपकी बैलेंस शीट में बिजनेस एक्सपेंस के रूप में रखी जाएगी जिसे आपको फाइनेंशियल ईयर में हुए नेट प्रोफिट से घटाया जाएगा जिससे टैक्सेबल इनकम कम हो जाएगी। अभी ये नियम केवल बिजनेस क्लास के लिए ही है। फाडा का कहना है कि इस स्कीम का फायदा सैलेरी क्लास को भी दिया जाना चाहिए ताकि आने वाले समय में उनकी व्हीकल ओनरशिप कॉस्ट कम हो सके। इसके अलावा फाडा ने सरकार से बढ़ी हुई डेप्रिसिएशन रेट को फिर से लागू करने की भी सिफारिश की है जो केवल 23 अगस्त 2019 से 31 मार्च 2020 के बीच खरीदे गए व्हीकल्स ही मान्य थी। वर्तमान में 15 प्रतिशत डेप्रिसिएशन रेट है जो बीच में बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दी गई थी।

इंपोर्ट ड्यूटी में कमी

इस बजट में सरकार इंपोर्ट ड्यूटी कम करने का ऐलान कर सकती है। टेस्ला जैसी कंपनियों को इस बड़े ऐलान का खासतौर पर इंतजार रहेगा। इंपोर्टेड व्हीकल्स पर टैक्स कम होने से विदेशी कंपनियां भारत में अपना लाइनअप बढ़ा सकेंगी और उनकी कुछ खास कारों की कीमतों में भी कमी आएगी। 

बजट 2022-23: इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए बड़ी घोषणाएं और इंपोर्ट ड्यूटी में कमी, ऑटो इंडस्ट्री को इस बार ये सब उम्मीदें
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