Tata Punch Side Body Test
ऑटो इंडस्ट्री

भारत में ही क्रैश टेस्ट शुरू कर सकती है Global NCAP, नॉर्म्स और ज्यादा सख्त करने की तैयारी

अब तक जर्मनी सेंटर पर भेजी जा रही थी इंडियन कारें 

‘Safer Cars for India’ कैंपेन के तहत ग्लोबल एनकैप ने हाल ही में 50 इंडियन कारों को टेस्ट करने का कीर्तिमान स्थापित किया है। 2014 में इस प्रोग्राम की स्थापना हुई थी जिसका सेफ्टी के प्रति लोगों को जागरूक करने में अहम योगदान माना जा सकता है। 

एक ऑटो पोर्टल को दिए साक्षात्कार में ग्लोबल एनकैप के एग्जिक्यूटिव प्रेसिडेंट डेविड वार्ड ने कहा कि “हमें विशेष रूप से इंस्टिट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन में हमारे साथी डॉ. रोहित बलूजा से और रेगुलेशन के मामले में भारत सरकार से जबरदस्त समर्थन मिला है, और खुद परिवहन मंत्री अब सेफ्टी को लेकर काफी सजग हैं। जब हमनें ये प्रोग्राम लॉन्च किया था तो शुरूआत में हमें कोई खास रिस्पॉन्स नहीं मिला मगर अब लोगों में काफी जागरूकता आई है और हमें शानदार कंज्यूमर रिस्पॉन्स भी मिल रहा है।”

New Mahindra XUV700 GNCAP

वार्ड ने आगे कहा कि अब मैन्युफैक्चरर्स भी जोरो शोरों से ​इसमें हिस्सा लेने लगे हैं और धीरे धीरे जीरो स्टार पाने वाली कारों की लिस्ट भी खत्म होती जा रही है। इसके अलावा उन्होनें ये भी कहा कि “हमने शुरुआत में सोचा था कि भारतीय ब्रांड्स पर विदेशी ब्रांड्स हावी होंगे, लेकिन यह देखकर काफी अच्छा लगा कि काफी इंडियन ब्रांड्स ब्रांड आगे आए हैं और सुरक्षित कारें तैयार करने की दिशा में काम कर रहे हैं,”। 

भारत में काफी कारों का टेस्ट करने के बाद वार्ड ने कहा कि इस प्रोग्राम का मकसद भारत में ही कारों का क्रैश टेस्ट करना है और रहेगा। इसके लिए हम भारतीय परिस्थितियों के अनुसार एक एनकैप शुरू कर सकते हैं। हाल ही में देश में BNCAP (Bharat New Vehicle Assessment Program) शुरू करने की चर्चा भी हुई थी जिसे लेकर ग्लोबल एनकैप के डेविड वार्ड ने कहा कि अभी इसे लेकर सरकार ने कोई रोडमैप नहीं बनाया है मगर इतना जरूर है कि वो हमें समर्थन देना जारी रखेगी। 

अब तक जर्मनी भेजी जा रही थी हमारी कारें

बता दें कि कारों के क्रैश टेस्ट करने के लिए काफी बड़े निवेश की आवश्यकता होगी। इसके लिए कार के साथ साथ कई मानव संसाधन और महंगी लेबोरेट्री की भी जरूरत पड़ती है। वर्तमान में ग्लोबल एनकैप को FIA  फाउंडेशन और Bloomberg philanthropy से समर्थन प्राप्त है। इसके कुछ मैन्युफैक्चरर्स अपनी कारों के क्रैश टेस्ट के लिए ग्लोबल एनकैप को पैसा भी देती है। ग्लोबल एनकैप की ओर से टेस्ट की गई 50 कारों में से 19 कारों की टेस्टिंग के लिए उनके संबंधित ब्रांड्स की तरह से ही पैसा दिया गया है। ऐसे में इस प्रोग्राम को जारी रखने के लिए वार्ड ने बताया कि हमनें दो चीजें की है। हमनें एडिशनल फंड को बचाकर रखा है और अब हम भारत में ​ही कारों की टेस्टिंग करने की तैयारी कर रहे हैं। 

एफआईए और ब्लूंबर्ग से मिली एक्सट्रा फंडिंग से ग्लोबल एनकैप आने वाले तीन सालों तक कारों की टेस्टिंग करेगी और वार्ड का मानना है तब तक BNCAP भी स्थापित हो चुका होगा। ग्लोबल एनकैप भारत में हाल ही में तैयार किए गए क्रैश टेस्ट सेंटर का इस्तेमाल कारों की टेस्टिंग के लिए करेगी। इससे कारों के क्रैश टेस्ट में होने वाले बड़े खर्च से तो बचा ही जा सकेगा साथ ही कई और कार मैन्युफैक्चरर्स भी बाद में इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लेंगे। जानकारी के लिए बता दें कि अभी कारों को जर्मनी टेस्टिंग के लिए भेजा जा रहा है। 

मलेशिया की तर्ज पर स्टार लेबलिंग की जरूरत 

वार्ड का मानना है कि स्टार लेबलिंग सिस्टम काफी जरूरी है। उन्होनें मलेशिया का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां एनकैप क्रैश टेस्ट रेटिंग्स अनिवार्य नहीं है मगर हर कार पर स्टार रेटिंग होना जरूरी है और अगर ना हो तो फिर कार पर ‘test not available’ का लेबल चिपकाना अनिवार्य है। इससे कंज्यूमर्स में तो जागरुकता बढ़ती ही है साथ ही मैन्युफैक्चरर्स पर भी अपनी कार को टेस्ट कराने का दबाव बनता है। 

भारत में BNCAP जैसी स्वायत्त संस्थान स्थापित करने के भी अपने कई कारण हैं। इस बारे में वार्ड का कहना है कि टेक्नोलॉजी लाने से ज्यादा बेहतर होगा कि यहां परफॉर्मेंस के आयाम स्थापित किए जाएं और कुछ नियमों को इसके तहत लाया जाए। उन्होनें 6 एयरबैग की अनिवार्यता को बेहतर उदाहरण कहा है। उन्होनें आगे कहा कि BNCAP के आने के बाद से कारों को टेक ओरिएंटेड बनाने के बजाए ज्यादा सेफ बनाया जाएगा। वहीं इंटरनेशनल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम्स के कारों में एक्टिव सेफ्टी फीचर्स को पेश किए जाने से भी कारों की ओवरऑल सेफ्टी बढ़ेगी और सड़क दुर्घटनाएं भी कम होंगी। इस साल जुलाई से भारत में ग्लोबल एनकैप के प्रोटोकॉल और सख्त होने जा रहे हैं जहां साइड इंपेक्ट टे​स्ट और ईएससी और सीट बेल्ट रिमाइंडर को अनिवार्य किया जाएगा। 

Source – autocarindia

भारत में ही क्रैश टेस्ट शुरू कर सकती है Global NCAP, नॉर्म्स और ज्यादा सख्त करने की तैयारी
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