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कार में एयरबैग, स्पीड वार्निंग लगाना अब होगा अनिवार्य, अक्टूबर 2017 से लागू होगा नियम

कार में एयरबैग, स्पीड वार्निंग अनिवार्य

नई कारों में एयरबैग लगाना कंपनियों के लिए आसान होगा जबकि पुराने मॉडल में एयरबैग लगाने के लिए कंपनी को थोड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।

सरकार सड़क सुरक्षा को लेकर काफी गंभीर है इस सिलसिले में कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। अब सरकार ने सभी गाड़ियों में एयरबैग, रियरव्यू सेंसर, स्पीड वॉर्निंग और सीटबेल्ट रिमाइंडर अनिवार्य रूप से लगाने का आदेश दिया है। इन सेफ्टी फीचर्स को हर कार के स्टैंडर्ड फीचर में रखा जाएगा। ये नियम अक्टूबर 2017 से सभी नई कारों पर लागू होगा, जबकि पुरानी कारों के लिए इसे अक्टूबर 2018 से अनिवार्य किया जाएगा।

नई कारों में एयरबैग लगाना कंपनियों के लिए आसान होगा जबकि पुराने मॉडल में एयरबैग लगाने के लिए कंपनी को थोड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। फिलहाल, बाज़ार में उपलब्ध ज्यादातर बजट कारों में एयरबैग और ज़रूरी सेफ्टी फीचर्स नहीं दिए गए हैं जिससे उन कारों में बैठे लोगों की जान को खतरा बना रहता है।

सरकार ने स्पीड एलर्ट को भी अनिवार्य करने का निर्देश दिया है। इस सिस्टम की मदद से जब कार 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ऊपर जाएगी तो ये ड्राइवर को ऑडियो अलर्ट के ज़रिए वार्न करेगा। इसके अलावा रियर व्यू मिरर को भी अनिवार्य बनाया गया है जिससे गाड़ी बैक करते वक्त बच्चों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सके। साथ ही रिवर्स पार्किं सेंसर भी स्टैंडर्ड फीचर में शामिल किया जाएगा।

वैसे तो रिवर्स पार्किंग सेंसर महंगी गाड़ियों में लगा होता है लेकिन कई कार कंपनियां धीरे धीरे इस फीचर को बजट कारों में भी लेकर आ रही है। उदाहरण के तौर पर टाटा टियागो को रखा जा सकता है। टाटा टियागो में रिवर्स पार्किंग सेंसर की सुविधा है और इसकी कीमत करीब 5 लाख रुपये है। कार मालिक इस सेंसर को बाहरी दुकान से भी फिट करा सकते हैं, जिसकी लागत करीब 4,000 रुपये है।

सरकार बहुत जल्द व्हीकल असेसमेंट प्रोग्राम भी शुरू करने वाली है जिसे भारत न्यू व्हीकल सेफ्टी असेसमेंट प्रोग्राम नाम दिया गया है। इस प्रोग्राम के तहत अलग अलग पैरामीटर पर भारतीय कारों का क्रैश टेस्ट किया जाएगा।

गौरतलब है कि भारत में लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं से सरकार काफी चिंतित है। हाल ही में जारी हुए एक आंकड़े के मुताबिक हर साल सड़क दुर्घटना से करीब 140,000 लोगों की मौत हो रही है वहीं, ऐसी घटनाओं से हर साल करीब 550,000 लोग घायल होते हैं।

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